AAP की चुनावी रणनीतियों की नकल की जा रही है?

भारतीय राजनीति के लगातार विकसित हो रहे परिदृश्य में बदलाव की बयार चल पड़ी है और इसमें सबसे आगे खड़ी है आम आदमी पार्टी (आप)। पारंपरिक राजनीतिक पैंतरेबाजी के बंधनों से मुक्त होकर, AAP ने एक ऐसा रास्ता तैयार किया है जो जनता को गारंटी की पेशकश करते हुए महज चुनावी वादों से आगे निकल जाता है। यह संपादकीय AAP की परिवर्तनकारी यात्रा पर प्रकाश डालता है, यह जांचता है कि कैसे पारदर्शिता, सामाजिक न्याय और जन-केंद्रित नीतियों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता भारतीय राजनीति के सार को नया आकार दे रही है। जैसा कि AAP स्थापित मानदंडों को चुनौती देती है, यह हमें इस पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है कि क्या यह पार्टी राजनीतिक अखंडता और सार्वजनिक भागीदारी के लिए एक नया मानदंड स्थापित कर रही है, जो भारत को समानता, न्याय और लोकतांत्रिक आदर्शों द्वारा परिभाषित भविष्य की ओर ले जा रही है।

राजनीति में अक्सर यह माना जाता है कि राजनेता चुनाव जीतने के लिए तमाम लुभावने वायदे कर देते हैं। चुनाव जीतने के बाद भूल जाते हैं। यह सब भारतीय राजनीति में शुरु से ही परंपरा सी बन गई थी। लेकिन पिछले एक दशक से यह परिपाटी बदल रही है। जिसका पूरे का पूरा श्रेय भारतीय राजनीति में अभी अभी नव आगंतुक पार्टी जिसका जन्म परम्परागत राजनीतिक मगरमच्छों के अहम से हुआ माना जाता है। 

जी हां हम बात कर रहे हैं इंडिया अगेंस्ट करप्शन के आंदोलन से जन्मी *आम आदमी पार्टी* की, जिसने अपने जन्म के चंद बरसो में ही भारतीय राजनीति के परंपरागत मगरमच्छों को एक आम आदमी से सरोकार रखने वाले मुद्दों की राजनीति पर बात करने को विवश कर दिया। AAP ने ऐसे ऐसे वायदों को पूरा कर दिखाया जिन वायदों पर देश की तमाम राजनैतिक पार्टियों ने नकारात्मक असहमतियां जताई थी। और तो और भारतीय मीडिया जगत ने भी वायदों के पूरा होने में असहमति फैलाई थी। जबकि AAP के द्वारा जनता को दी गई अपनी असंभव बताई जा रही सभी गरंटियां एक निश्चित समय सीमा के अन्दर ही बखूबी पूरी करने का कारनामा करती आ है।

आम आदमी पार्टी (AAP) ने भारतीय राजनीति में एक नई दिशा स्थापित की है, जो परंपरागत मगरमच्छों की राजनीति से भिन्न है। वे चुनावों के समय नहीं, बल्कि अपने कार्यक्षेत्र में किए गए वायदों को गारंटी के रूप में जनता के सामने रखते हैं। इससे उनमें विश्वास पैदा होता है, और यह नवीनतम राजनीतिक प्रवृत्ति को दर्शाता है कि सत्ता का उपयोग जनता के हित में कैसे हो सकता है।AAP की गारंटी की बातें न केवल रेंकों में बदल रही हैं, बल्कि इससे सामाजिक और आर्थिक असमानता के मुद्दों पर भी प्रकाश डाल रही है। 

AAP के मुखिया श्री अरविंद केजरीवाल जी की बदलती राजनीतिक व्यापकता और गारंटी की प्रवृत्ति ने दिखाया है कि राजनीति भ्रष्टाचार, असमानता, और जनहित मुद्दों के लिए एक सशक्त और निष्कलंक उत्तर भी प्रदान कर सकती है। इस नई राजनीतिक दिशा का समर्थन करना हम सभी की जिम्मेदारी है, ताकि भविष्य में भारतीय राजनीति एक सशक्त, सजीव और समृद्धिशील देश की दिशा में बदल सके।

जबकि परंपरागत राजनितिक पार्टियां अभी तक अपने लुभावने वायदे और देश की भोली भाली जनता को धर्म, जाति आदि के जाल में फंसाकर सत्ता पर काबिज़ होते आ रहे थे। और देश की जनता इनके चुनाव के समय किए गए वायदों पर भरोसा भी करती थी। अब जबसे AAP ने अपनी चुनावी रणनीतियां अपना कर चुनाव जीतने शुरु किए तो देश की पुरानी पार्टियों को अपनी चुनावी रणनीतियों में कुछ खामियां नज़र आने लगी। क्योंकि AAP ने भारतीय राजनीति में एक ऐसा नया प्रयोग किया जो हर भारतीय के दिल में पैदायशी होता है कि राजनीति जनता से शुरु होती है और जनता के लिए ही होनी चाहिए। अर्थात जनता की राजनीति में भागेदारी वा शासन में पारदर्शिता। 

जहां अब तक देश की पुरानी पार्टियां चुनाव के समय में अपना लुभाने वायदों को मेनिफेस्टो के रुप में जनता के सामने रखते चले आए हैं, और चुनाव भी जीतते चले आए हैं। लेकिन जिस नव आगंतुक पार्टी यानी अरविंद केजरीवाल जी द्वारा गठित आम आदमी पार्टी की हम बात कर रहे हैं वो चुनाओं के दौरान जनता से सम्बन्धित मुद्दों या वायदों को मेनिफेस्टो के रुप में नहीं दिखाती बल्कि वो अपने द्वारा किए गए वायदों को AAP यानी अरविंद केजरीवाल की गारंटी के रुप में जनता के समक्ष प्रस्तुत करती है। और साथ में यह भी कहती है यदि AAP के द्वारा दी गई गारंटी पूरी न हो तो उसे न्यायलय के समक्ष पेश किया जा सकता है। 

AAP ने अपनी राजनीतिक दिशा में समाजवाद और सहभागिता को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। उनका उदाहरणशील सामाजिक कार्य और नीतियों के माध्यम से वह साबित कर रहे हैं कि सभी वर्गों को बराबरी और न्याय की प्राप्ति के लिए कैसे काम किया जा सकता है।AAP की राजनीतिक दिशा न्यायप्रियता और लोकतंत्र के मौलिक सिद्धांतों को प्रमोट करती है। उनकी गारंटी और जनता के साथ सहभागिता के माध्यम से वे यह सिद्ध करते हैं कि राजनीति उदार और सही मायने में लोगों के हित में होनी चाहिए।

इस पूरे परिप्रेक्ष्य में, आम आदमी पार्टी ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा में मोड़ने का प्रयास किया है। उनकी गारंटी की प्रणाली और सामाजिक सुधार की प्रवृत्तियों से हमें सिखने को मिलता है कि राजनीति कैसे जनहित में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है और लोकतंत्र को मजबूत कर सकती है। यह नई राजनीतिक पहल भारतीय राजनीति को समृद्धि और सामाजिक न्याय की दिशा में एक नए उच्चतम स्थान पर ले जा सकती है।

आज हम देख रहे हैं की देश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी जो अभी अभी पांच में से तीन राज्यों में प्रचंड बहुमत से जीती है, उसने अपनी चुनावी रणनीतियों का नाम बदल कर मोदी जी की गारंटी रख दिया है। जब जीत का जश्न मनाया जा रहा था तब जनता में से ही किसी आदमी ने बोल दिया था कि यह मोदी जी की गारंटी का परिणाम है। उसके बाद चारों तरफ़ बीजेपी ने यह नरेटिव सैट कर दिया कि मोदी जी की गारंटी है तो सब कुछ मुमकिन है। और शायद यह नरेटिब 2024 के चुनाव के लिए ही सैट किया जा रहा हो। 17 दिसंबर 2023  के अख़बार नवभारत टाइम्स में एक ख़बर छपी थी, जिसकी हैड लाइन थी कि : “जब सब उम्मीदें ख़त्म हो जाती हैं तो मोदी की गारंटी शुरु होती है: पीएम”। तो आप ही बताइए कि क्या देश की इतनी पुरानी पार्टियों की रणनीतियों में कुछ खामियां हैं या फिर नव आगंतुक पार्टी AAP की नकल…… 

लेखक:

वीर सिंह होलकर

(MAJMC Final Year Student)

Deputy Chairman Bharatiya Media Foundation Delhi Pradesh.