Traditional Business VS Digital Business/ट्रेडिशनल बिज़नेस बनाम डिजिटल बिज़नेस:

Traditional Business VS Digital Business

आज हम चर्चा करने जा रहे हैं कि आज के समय में पुराने तरीकों से व्यापार/Traditional Business या आज के तौर तरीके से किया जाने वाला बिजनेस /Digital Business में क्या फर्क है। हम चर्चा को शुरू करने से पहले यह जानेंगे की परंपरागत या पुराना ट्रेड/ Traditional Business किस तरह किया जाता था या ओल्ड टाइप का बिजनेस क्या था। और आज का नए जमाने का बिज़नेस या कहें कि  Digital Business / डिजिटल मार्केटिंग क्या है और इसको कैसे संचालित किया जाता है और यह क्या है। ये तमाम सवालों के जवाब हम इस लेख के माध्यम से भलीभांति समझ पाएंगे।

 

एक पारंपरिक व्यवसाय / Traditional Business आमतौर पर अपने उत्पादों और सेवाओं को दुकानों के माध्यम से बेचता है। रेस्तरां जैसे व्यवसाय और कार्यालय सेट-अप जैसा कुछ भी पारंपरिक व्यवसायों के अंतर्गत आता है। इसकी शुरु करने से पहले हमें भारी भरकम पूंजी की आवश्यकता पड़ती है। क्योंकि एक नए बिज़नेस को शुरु करने के लिए एक दुकान और उस दुकान का तमाम साजोसामन की ज़रूरत पड़ती है।इसके विपरीत, डिजिटल व्यवसाय / Digital व्यवसाय का एक आधुनिक रूप है। यह व्यवसाय का एक रूप है जो मूल्य निर्माण और ग्राहक के अनुभव को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है। साथ ही, इसमें केवल-डिजिटल व्यवसाय और डिजिटल दृष्टिकोण का उपयोग करने वाले पारंपरिक व्यवसाय दोनों शामिल हैं। अर्थात डिजिटल मार्केटिंग में बहुत अधिक कैपिटल की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसको बहुत ही कम पैसे लगाकर और बिना कोई फिजिकल ऑफिस संचालन किए ही शुरू किया जा सकता है। और अब उसके साथ साथ आज का बिजनेस यानि डिजिटल मार्केटिंग अर्थात ऑन लाइन से बिजिनेस के क्या तौर तरीके हैं उनके बारे में जानेंगे। उसके बाद दोनों प्रकार के बिजनेस में अंतर समझेंगे। तथा साथ ही यह भी जानेंगे कि दोनों तरीकों में से कौन सा तरीका किसके लिए प्रभावी रहने वाला है।

 

अब हम चर्चा करने जा रहे हैं कि पुराने या परंपरागत तरीके से अर्थात ओल्ड टाइप का व्यापार क्या है। पुराने टाइप के व्यापार में बिज़नेस छोटा हो या बड़ा थोक का हो या रिटेल का सभी के टूल्स लगभग परस्पर कुछ हद तक समान ही होते हैं। पूराने तरीके के बिजनेस में एक मैन्युफैक्चरर होता है, या एक ट्रेडर हो सकता है। मैन्युफैक्चरर अपने सामान को एक थोक व्यापारी को कुछ मुनाफे के साथ बेचता है। उसके बाद थोक विक्रेता रिटेलर को तथा रिटेलर कंज्यूमर को हाई प्रॉफिट पर बेचता है। ट्रेडिशनल बिज़नेस में व्यापारी अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए अर्थात अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक कस्टमर तक पहुंचने के लिए पूराने तौर तरीके अपनाता है जेसे समाचार पत्रों में, नामचीन पत्रिकाओं में विज्ञापन प्रकाशित कर अपने ब्रांड को  समाज के अधिक से अधिक हिस्से तक पहुंचाने की कोशिश करता है। तथा बड़े बड़े बोर्ड तथा होर्डिंग आदि से अपने ब्रांड को प्रसारित करता है।इसके आलावा वह एक मोटी रकम खर्च करके, रेडियो और टेलीविजन पर अपने ब्रांड को प्रसारित कर अपनी बिक्री बढ़ाता है।

 

हजारों साल से चलता आ  रहा हमारे पूर्वजों से हमें विरासत में मिला यह बिजनेस ,का ट्रेडिशनल तरीका अब अपग्रेड हो रहा है। और होना भी चाहिए क्योंकि आज समय के साथ साथ दुनियां बदल रही है । जैसाकी आपको ज्ञात है कि आज का युग डिजीटल मार्केटिंग का युग आ गया है। और यह एक प्रकार कि क्रान्ति है। अर्थात बिजनेस की दुनियां में एक प्रकार का डिजीटल बूम आया है। 

 

और जब कोई भी क्रान्ति आती है तो पुरानी चीजे या पुराना सिस्टम अपने आप रिप्लेस होने लग जाता है। ऐसा नहीं की पुराना सिस्टम खराब हो गया या बेकार था। बल्कि समय के बदलाव के साथ समय की मांग भी हो जाती है। कि हमे नए सिस्टम को अपनाना पड़ता है।सोशल मीडिया के उदय के साथ, ट्रेडिशनल बिज़नेस को अक्सर व्यापारियों द्वारा कम करके आंका जाता है। हालाँकि, पारंपरिक व्यापार का अभी भी उपभोक्ता के दैनिक जीवन में बहुत स्थान है। यदि आपके पास अपने अभियानों को पत्रिकाओं और प्राइम टाइम टीवी में साझा करने के लिए बजट है, तो आप अधिक से अधिक lead जेनरेट कर सकते हैं।

 

अब हम बात करेंगे नए सिस्टम की यानि ऑन लाइन बिज़नेस की आज करोना महामारी ने दुनियां को यह सिखा दिया कि आज जो ऑन लाइन है, वो ही ठीक से सर्वाइव कर पा रहा है। करोना महामारी के समय हमने और आप ने सभी ने देखा कि किस तरह से चलते हुए बिज़नेस बंद हो गए। और चलते हुए बिज़नेस में लोगों की सैलरी आधी हो गई थी। ऐसा शायद ही कभी पहले हुआ हो। लेकिन एक बहुत ही मजेदार बात इस कोविड महामारी में यह देखने को मिली कि दुनियाभर के स्कूलों ने अपनी फीस में कमी नहीं की जबकि अपने स्टाफ की सैलरी आधी कर दी थी। आज बिज़नेस ऑफ लाइन हो या ऑन लाइन हो हर जगह बिज़नेस का मोटिव अधिक से अधिक प्रॉफिट कमाना होता है। सिर्फ चैरिटेबल संस्थाओं को छोड़कर। और प्रॉफिट मार्जिन को बड़ाने के लिए विक्री बढ़ानी होगी और विक्री बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक कस्टमर तक अपने ब्रांड को प्रसारित करना होगा।

 

 अधिक प्रॉफिट के लिए अधिक सेल्स होनी चाहिए। और अधिक सेल्स के लिए अधिक कस्टमर तथा संभावित कस्टमर तथा इंक्वायरी तक पहुंच होना जरूरी होगा। यह प्रक्रिया सामान्यतः ट्रेडिशनल बिज़नेस तथा डिजिटल मार्केटिंग दोनों में ही अपनानी पड़ती है। लेकिन दोनों के तरीके अलग हो सकते हैं।

 

जैसा कि हमने ऊपर भी ज़िक्र किया था कि एक व्यापारी को डिजिटल व्यवसाय के लिए गोदाम के मालिक होने की आवश्यकता नहीं हो सकती है। वे वर्चुअल वेयरहाउस से अपना कारोबार चला सकते हैं। यह उन्हें बिना ऋण के व्यवसाय का प्रबंधन और शुरू करने में सक्षम बनाता है। सटीक होने के लिए, एक डिजिटल-उन्मुख व्यवसाय में, एक व्यापारी के पास जरूरी नहीं कि उनके उत्पाद हाथ में हों, और फिर भी, वे उन्हें अपने उपभोक्ताओं को बेच सकते हैं।

 
 

 

Digital Marketing

डिजीटल मार्केटिंग एक मार्केटिंग का ऐसा तरीका है जिसमें इंटरनेट का होना नितांत आवश्यक है। बिना इसके कुछ नहीं हो सकता।

 

सामान्यतः डिजिटल उपकरणों के माध्यम से अपने ब्रांड का प्रचार प्रसार करना एक प्रकार से डिजिटल बिज़नेस कहलाता है। आज डिजिटल दुनियां में जब कोई ट्रेडिशनल बिज़नेस एंटर होता है तो उसको सर्वप्रथम डिजिटल दुनियां में पदार्पण के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक अपनी दुकान या ऑफिस संचालन करना अन्वार्य हो जाता है। डिजीटल दुकान या डिजिटल ऑफिस से हमारा मतलब एक वेबसाइट से है। अब आप सोच रहे होंगे कि वेबसाइट की क्या जरूरत है। हम तो वॉट्सएप , यूट्यूब और ईमेल व फ़ोन से ही काम चला लेंगे।

और यह भी सोच रहे होंगे कि यह कैसे हो पाए गा ? तो चलो मान लेते हैं की एक यूट्यूब का चैनल बना लेंगे। और उसी पर संभावित कस्टमर आ जाएंगे। चलो मान लेते हैं कि संभावित कस्टमर आ जाएंगे लेकिन बार बार उन्हें अपना प्रोडक्ट कैसे और कहां दिखाओगे? कस्टमर सिर्फ़ आपकी विडियो देख कर ही  क्या कुछ खरीदने का मन बना लेगा?

 

इसलिए इन तमाम प्रक्रियाओं  को मैनेज करने के लिए तथा अपना प्रोडक्ट रखने के लिए आपको एक अपनी वेबसाइट  बनानी ही पड़ेगी। अब बात आती है कि वेबसाइट पर लोग कैसे आएंगे। ट्रैफिक कैसे जेनरेट होगा।

ट्रैफिक जेनरेट करने तथा कस्टमर आकर्षित करने के दो तरीके होते हैं। पहला इनॉर्गेनिक तथा दूसरा ऑर्गेनिक मैथड्स।अब हम आपको वेबसाइट पर ट्रैफिक आकर्षित करने के दोनों तरीके बहुत ही सामान्य भाषा में समझाने जा रहे है

आज लोग किसी भी तरह की Information के लिए Google पर सर्च करते हैं या Social Media पर Scroll करते हैं, ऐसे में जब उन्हें आपका कंटेंट दिखता है जो उनकी Needs को टारगेट कर रहा होता है तो वो आपके साथ संपर्क की कोशिश करते हैं। 

 

लेकिन, यहां सवाल आता है कि क्या लोगों को अपने कंटेंट से आकर्षित करने मात्र से काम चल जाता है?नहीं, इससे काम नहीं चलता। 

उन्हें एक अजनबी व्यक्ति से कस्टमर में तब्दील करने के लिए, अपनी वेबसाइट पर लाकर उन्हें अपने प्रोडक्ट्स या सर्विसेज़ से रूबरू कराया जाता है। किसी भी तरह से उनको अपने प्रॉडक्ट के प्रति भरोसा दिलाया जाता है। लगातार उनके सवालों का जवाब दिया जाता है ।

और उन्हें  अधिक से अधिक Value Provide करते हुए कस्टमर में कन्वर्ट किया जाता है।

 

इस पूरे प्रोसेस को ही SEO अर्थात search engine optimization मार्केटिंग कहते हैं। 

मार्केटिंग की इस प्रक्रिया  में कभी भी संभावित ग्राहकों पर किसी तरह का दबाव नहीं ड़ाला जाता और न ही उन्हें ज़बरदस्ती Ads दिखाए जाते। यहां उन्हें ऐसा महसूस नहीं कराया जाता कि उन्हें ज़बरदस्ती  कुछ बेचा जा रहा है। 

 

इसलिए, SEO से High Quality Leads Generate होते हैं जो आपके बिज़नेस के साथ जुड़ने में Interested होते हैं। अतः इसको डिजिटल मार्केटिंग का ऑर्गेनिक मैथड्स अर्थात बिना कुछ पैसा खर्चे क्राउडेड क्रिएशन का तरीका कहा जाता है।

 

Digital Business / डिजिटल मार्केटिंग चैनलों में शामिल हैं:

Digital Business Chennel

सोशल मीडिया (फेसबुकइंस्टाग्रामयूट्यूब, व्हाट्सएप, ट्वीटर आदि)

वेबसाइट

विषयवस्तु का व्यापार

ईमेल व्यापार

पीपीसी (प्रति क्लिक भुगतान .)

SEM (सर्च इंजन मार्केटिंग)

 

अब बात आती है कि आपको किस प्रकार की मार्केटिंग का उपयोग करना चाहिए?

सामान्य रूप से डिजिटल मार्केटिंग वर्तमान और संभावित ग्राहकों तक पहुंचने में सबसे आगे है। यह एक आधुनिक मार्केटिंग और पीआर रणनीति का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है, जो प्रिंट प्रकाशन, होर्डिंग और डायरेक्ट मेल जैसे पारंपरिक मार्केटिंग पर हावी हो गया है।

 

हर दिन, वैश्विक आबादी का अधिकांश हिस्सा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर महत्वपूर्ण समय बिताता है। पिछले एक दशक में, व्यवसाय इस तथ्य के बारे में अधिक जागरूक हो गए हैं और अपने सामान और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए इन प्लेटफार्मों का लाभ उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। चूंकि मार्केटिंग सही समय पर सही जगह पर ग्राहकों से जुड़ने के बारे में है, ऑनलाइन वह जगह है जहां आपको होना चाहिए।

 

आपका व्यवसाय उद्योग चाहे जो भी हो – चाहे वह वैश्विक उपभोक्ता ऐप हो या स्थानीय आइसक्रीम रिटेलर – आप डिजिटल पीआर और मार्केटिंग से अत्यधिक लाभ उठा सकते हैं।एक महान मार्केटिंग अभियान की कुंजी पारंपरिक और डिजिटल के बीच सही संतुलन खोजना है।  क्योंकि ट्रेडिशनल बिज़नेस तथा डिजिटल मार्केटिंग व्यवसाय व्यवसाय के एक ही प्रति रूप हैं सिर्फ़ इनके सेल बढ़ाने के तरीकों अर्थात टूल्स में अंतर है। दोनों एक मार्केटिंग रणनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन जब वे एक साथ उपयोग किए जाते हैं तो उनमें से प्रत्येक को ऊंचा किया जाता है।

वैसे ट्रेडिशनल बिज़नेस तथा डिजिटल मार्केटिंग दोनों में ही अपनी कार्यप्रणाली में, जब सही तरीके से काम किया जाता है, व्यापारियों के लिए चमत्कार कर सकता है। फिर भी, दोनों व्यवसायों का मिश्रण कुछ समय पहले से ही रन उपलब्धि का संकेत दे सकता है। अपने व्यवसाय के परिणामों को बढ़ाने और अपने ग्राहकों को एक आकर्षक अनुभव प्रदान करने के लिए तकनीकी सुधार करना सबसे अच्छा होगा। यह केवल इतना है कि आपको अपने व्यवसाय को समय के साथ अप-टू-डेट रखना चाहिए।

 

जब डिजिटल मार्केटिंग सही तरीके से की जाती है, तो यह आपके संगठन के लिए एक व्यवस्थित मार्केटिंग और पीआर प्रक्रिया विकसित करेगी जो मौजूदा और संभावित ग्राहकों को वफादार, उत्साही प्रशंसकों में परिवर्तित करती है। एक व्यापक डिजिटल ब्रांड विकसित करने के लिए अपने सभी इन-हाउस या एजेंसी मार्केटिंग और पीआर टीमों के साथ काम करें जो आपके लक्षित दर्शकों को उत्साहित करता है। और आपके ब्रांड को प्रसिद्धि दिलालता है।

 

निष्कर्ष Conclusion-

अंतत: दोनों प्रकार के मार्केटिंग के अपने फायदे और नुकसान हैं, लेकिन बाजार आपकी विशिष्ट मार्केटिंग जरूरतों को समझ रहा है, आप आपके बजट पर विचार कर अपना निर्णय ले सकते हैं। आपको अपने  लक्षित दर्शकों या यह कहें कि संभावित कस्टमर को समझना ही पड़ेगा। और ट्रेडिशनल मार्केटिंग चैनल अक्सर बेबी बूमर पीढ़ी और जनरल एक्स द्वारा अधिक अपेक्षित और स्वागत किए जाते हैं । डिजिटल मार्केटिंग सभी उम्र के लिए आश्चर्यजनक रूप से उपयुक्त मार्ग है । अगर हम यह कहें की डिजिटल युग आने से पारंपरिक या ट्रेडिशनल बिज़नेस अपना अस्तित्व खो देंगे ऐसा न मुमकिन है। लेकिन दानों में अगर देखा जाए तो डिजिटल बिजनेस पारंपरिक बिज़नेस पर हावी होता जा रहा है। और यह होना भी लाजमी है क्योंकि आज दुनियां ने डिजिटल युग में प्रवेश कर लिया है। और आज हमारा हर वर्ग एक ठेले पर गोलगप्पा बेचने वाले से लेकर बड़े बड़े ब्रांड व नामी ग्रामी हस्तियां  इत्यादि इत्यादि डिजिटल उड़ान भरने की उमंगे ले रहे हैं। 

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